Thursday, October 20, 2011

मौन के मायने मौन होना होता है....


अचानक एक दिन टी वी पर खबर आती है कि अन्ना हजारे ने मौन व्रत धारण करने का निर्णय कर लिया है !
क्यों ?
क्या टीम अन्ना के पारस्परिक विवादों के चलते सवालों के जवाब नहीं सूझ रहे या फिर आत्म शुद्धि का इरादा है ?
...और दोनों ही स्तिथियों में मौन हो जाना एक बेहतर विकल्प है !

लेकिन फिर टी वी पर नज़र आता है अन्ना अपने प्रशंसकों से घिरे मज़े ले-लेकर और हाथ नचा नचा कर खूब बतिया रहे हैं ....हर बात का जवाब दे रहे हैं ...और उसपर भी अगर सामने वाले को समझ ना आ रहा हो तो अपने जवाब लिख कर भी दे रहे है ! तो फिर मौन का क्या हुआ ? मौन क्या सिर्फ मुंह ना खोलने को कहते हैं ?? ऐसी हरकतें तो हम बचपन के छिछोरपन में किया करते थे ! इस तरह भौंडेपन से इशारों में बतियाना मौन नहीं होता ...

मौन के मायने मौन होना होता है...एकदम मौन ....केवल ज़बान से ही नहीं , मन से, कर्म से, भाव से और आत्मा से भी ! जब शांतचित्त होकर अपने अन्दर उतरा जाना हो .... अपने अँधेरे,अपने उजाले से रूबरू होते हुए अपना आत्मावलोकन करते हुए अपनी निर्बलताओं और अपने सामर्थ्य की सीमाओं को जानना हो ....मौन माने शून्य ! मौन माने अपने आप से भी परे कुछ न हो जाने की सहजता ! मौन माने मन के द्वार से अपने ही भीतर अपनी आत्मा का मंथन !

यह नौटंकी कुछ भी हो सकती है मगर मौन हरगिज़ नहीं !!

हाथों के इशारों से या कागजों पर लिख लिख कर वार्तालाप करना , कहीं भी शोर मचाने से कम नहीं होता !!

यह मज़ाक किस से हो रहा है ? जनता से ....सरकार से ...मीडीया से ...स्वयं अपने आप से या फिर खुद "मौन" से ???


....पर इन समझदारों को कौन समझाए ...वैसे भी अब किसी से भी गाम्भीर्य की अपेक्षा स्वयं में मूर्खता है ! हम ....हमारा पूरा देश एक अपरिपक्व झुण्ड के अलावा और कुछ है नहीं - यह पहले ही साबित हो चुका है !!

चलो हम ही मौन हो जाते हैं .....बिना किसी पब्लिसिटी स्टंट के !!

1 comment:

हरकीरत ' हीर' said...

@ इस तरह भौंडेपन से इशारों में बतियाना मौन नहीं होता ...

सही कहा आपने मौन का मतलब है मौन ....

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