Tuesday, November 10, 2009

"सिगरेट पियेंगे ...लोगों के कपडे जलाएंगे और फिर कहेंगे "सौरी भाई साब" !

हाँ साब ! यही तो हो रहा है महाराष्ट्र में ! परसों महारष्ट्र विधान सभा में जो शर्मनाक हरकत हुई , सुना है उसके लिए एम् एन एस के लोग माफ़ी मांगेगे !

राम
कदम कह रहे थे कि हम सदन के सामने खेद जतलायेंगे , अबू आज़मी से माफ़ी नहीं मांगेगे !
यह माफ़ी का फरमान भी राज ठाकरे के यहाँ से आया है....यानी इससे पहले तक इन एम् एन एस के विधायकों को यह अहसास नहीं हुआ था कि इन्होने अपने राज्य की एक अत्यंत सम्माननीय व्यवस्था की गरिमा को तार तार किया है ! और वह भी किस मुद्दे को लेकर ! मुद्दा था मराठी भाषा के सम्मान का ! मराठी माणूस कि अस्मिता का दम भरने वाले यह सत्ता के भूखे लोग किस मराठी भाषा के सम्मान की बात करते हैं ? क्या वह मराठी भाषा जिसमें बात करने में यह लोग स्वयं कतराते हैं ..... बड़ी बड़ी पार्टियों और क्लबों में जाकर यही लोग अपने हिंदी के साथ साथ अंग्रेजी ज्ञान को भी खूब बघारते नज़र आते हैं ! इन सबके घरों में अच्छी खासी हिंदी इंग्लिश आदि कई भाषाएँ बोली समझी जाती हैं ....हाँ अलबत्ता घर में काम करने वाली बाईयां ज़रूर मराठी मिश्रित हिंदी या हिंदी मिश्रित मराठी में संप्रेषण करती हैं ! इन लोगों के बच्चे ऐसे इंग्लिश स्कूलों में पड़ते हैं जहाँ मराठी मात्र एक वैकल्पिक विषय ही है ! ....स्वयं राज के बच्चे बाम्बे स्काटिश स्कूल में पढ़ रहे हैं !

अभी पीछे चुनावों से पहले एम् ए एस के लोगों ने हिंदी न बोलने की कसम खाई थी और परसों अपनी गुंडई फैलाने के बाद और आज माफ़ी मांगने की बात करते वक़्त मिडिया के सामने सभी हिंदी में बात करते दिखाई दिए !

तो फिर मराठी भाषा का तमाशा क्या है ?

यह तमाशा है राज्य के आम सीधे सादे लोगों को बेवकूफ बनाने का ! साम दाम दंड भेद ...किसी भी तरीके से सत्ता में काबिज़ होने का ! यह वही तमाशा है जिसके सहारे साठ के दशक में बाल ठाकरे ने अपनी कार्टूनगिरी छोड़कर महारष्ट्र की राजनीति के छप्पढ़ में छलाँग लगाकर अपनी उपस्तिथि दर्ज कराई थी ! भतीजा अपने चाचा के नक्शे कदम पर काफी मुस्तैदी से चल रहा है ! और इसी कूटनीति का एक हिस्सा माफ़ी मांगना भी है ! पहले गुंडा गर्दी करो , उत्पात मचाओ और जब सबकी नज़र तुम पर आ टिके तो माफ़ी मांग लो ....हो गए फटाक से पापुलर !

लोगों के बीच अपनी पैठ बनाने , उनकी नज़रों में आने के लिय या तो खूब अच्छे काम करने पड़ते हैं और या फिर गुंडागर्दी ! अब अच्छे कामों की महक तो धीरे धीरे ही फैलती है ....वक़्त लगता है ! लेकिन गुंडागर्दी - इधर करो , उधर सबकी नज़र तुम पर !

राज ठाकरे जिसे अभी पिछले एक दो साल पहले कोई जानता भी कोई नहीं था, या जिसकी पहचान ज्यादा से ज्यादा बाल ठाकरे की शिव सेना के एक अदना से कार्यकर्त्ता से ज्यादा कुछ नहीं थी....आज अपनी इन्ही हरक़तों कि वजह से महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी खुद की एक पहचान दर्ज करा चुका है !

पहले गैर महाराष्ट्रीय लोगों को मुंबई से बाहर खदेड़ने का मुद्दा , फिर रेलवे बोर्ड कि भर्ती को लेकर सरेआम सड़कों पर हंगामा , उसके बाद महाराष्ट्र में दुकानों पर मराठी भाषा में बोर्ड लगवाने कि हठ धर्मिता ......और अब यह नया ड्रामा !
( वैसे अबू काज़मी ने जो किया वह भी कोई हिंदी प्रेम के लिए नहीं बल्कि अपने लिए सस्ती लोकप्रियता बटोरने के लिए ही किया है - यह बात भी किसी से छुपी नहीं है ) बहरहाल , बात राज और उसकी एम् एन एस कि हो रही थी ..... तो साहब अब तक जितनी भी गुंडई इन लोगों ने फैलाई है, उसके तुंरत बाद माफी भी मांग ली है ...! लेनी देनी बराबर !!!

पहले सिगरेट पियेंगे ...लोगों के कपडे जलाएंगे और फिर कहेंगे "सौरी भाई साब" !

सवाल यह नहीं है कि यह लोग अपनी हर करतूत के लिए माफी मांग लेते हैं बल्कि सवाल यह है कि आम जनता इन्हें माफ़ कर देती है ! हर बार , बार बार.... वही सब कुछ होता ...कोई मरे -जिए , किसी को कुछ फरक नहीं पड़ता !

किसी के सिगरेट पीने से अगर हमारा कपडा जलता है तो वो सिगरेट पीने वाला गुनाहगार है ....लेकिन बार बार हम अपने कपडे जलवा जलवा कर भी ना तो उसकी सिगरेट बुझा पायें और ना ही खुद को बच्चा पाएं ...तो ? ? ?

तो
गुनाहगार खुद हम हैं ! इस देश और समाज की कीचड में पनपने वाले इन कुकुरमुत्तों की पैदायश और लालन पालन के हम खुद ही जिम्मेवार हैं इसलिए हम ही गुनाहगार हैं !

....और गुनाहगार को कानून दे या कुदरत, सज़ा तो मिलनी ही चाहिए ....मिलती ही है ...मिल ही तो रही है !!

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