Wednesday, December 17, 2008

हम नही सुधरेंगे ....


आप चाहे तो जग हसाई करो या फ़िर भर भर के लानत भेजो ....हम नही सुधरेंगे साहब !

यह माना कि हम एक सुघड़ सुंदर सुशील पत्नी के पति हैं....खासे जवान बच्चों के बाप हैं...पर आप यह क्यों भूलतें हैं कि हम खलनायक हैं.... सठिया गए हैं तो क्या हुआ , बंदर भी कभी गुलाटी मरना भूलता है ? हमने जो सारी उम्र फिल्मों में किया है वोह हमारी ऐक्टिंग नही वास्तविकता थी भाई ! होंगे कोई प्राण साहब जो असलियत में निहायत शरीफ होकर भी फिल्मों में अपनी अदाकारी से खौफ का, ज़लालत का, कमीनगी का पर्याय ही बन गए थे...लोग अपने बच्चों के नाम 'प' से भले ही पागल रख लें मगर प्राण हरगिज़ नही रखते थे .... यह तो मनोज कुमार ने उनकी छवि ऐसी बदली कि लोगों को समझ आ गया कि दरअसल ऐक्टिंग होती क्या है....मगर जनाब हम तो जैसे फिल्मों में हैं वैसे ही असल ज़िन्दगी में भी हैं....भाड़ में जाए ऐक्टिंग ! अपुन तो सदा के कमीने हैं बॉस ! अगर पिछली कुछ वारदातें आपको इसका यकीन नही दिला पाती तो हमारे दिल्ली के मंडी हाउस के ज़माने के साथियों से पूछ लें ....! कोई नही भूला हमें....और हमारी करतूतों को।

तो साहब ! अभी जो आपने ख़बर पडी ...अरे वही नेपाल कि रेखा थापा के बारे में, हमारी बदनीयती कि जिंदा मिसाल ही तो है...! अब क्या बताएं वो चीज़ ही ऐसी थी कि मन काबू में नही रहा । वैसे भी हमने अपने मन को काबू करने पर पूरी तरह निषेध लगा रखा है....अरे चार दिन कि ज़िन्दगी है मज़ा ले लो ! बूड्ढे हुए तो क्या हुआ मन तो अभी चंचल है...जवान है और बेशर्म है !

अब अगर चाहे तो रेखा थापा भी बुला ले मिडिया को या कर ले कोई प्रेस कांफ्रेंस , अपुन के लिए तो अब यह कोई नई बात नही रह गयी ! रोज़ रोज़ का धंदा है....वैसे भी कमीनगी और ढीठपने का चोली दामन का साथ है ! और चोली की तो आप बात रहने ही दें ....!

याने सौ बातों की या हज़ार किस्सों की एक ही बात के चाहे जो जाए 'हम नहीं सुधरेंगे' !
चिट्ठाजगत
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