Saturday, January 17, 2009

झोपड़ पट्टी का करोड़पति कुत्ता और रहमान का गोल्डन ग्लोब अवार्ड !


कोई कुछ कह रहा है तो कोई कुछ, लगता है जैसे हर किसी के लिए "झोपड़ पट्टी के करोड़पति कुत्ते " ( Slumdog Millionaire ) पर कुछ न कुछ कहना ज़रूरी हो गया है ! तो चलिए , हम क्यों पीछे रहें ....इस शोर शराबे में हम भी अपनी तूती फूँक देते हैं ...चलते चलते !

इसमें कोई शक नहीं की स्लमडॉग मिलिनेयर अपने आप में एक अच्छी फ़िल्म है ! डैनी बोयल वैसे भी एक सुलझे हुए निर्देशक हैं तो उनसे एक अच्छी फ़िल्म की अपेक्षा रहती ही है...और वे हर बार की तरह इस बार भी खरे ही उतरे हैं ! फ़िल्म का छायांकन और संपादन भी खासा उम्दा है और सभी कलाकारों का अभिनय भी ! और जो सबसे सराहनीय तत्व है इस फ़िल्म का , वो है इसका स्क्रीन प्ले ! अपने आप में चुस्त दुरुस्त , पैना और बेलौस बहता हुआ सा !

....क्या हुआ ?? चौंक गए ...! मुझे खासा अंदाजा है आप इसके सबसे सराहनीय तत्व के रूप में इसके संगीत की उम्मीद कर रहे थे ! क्यों हैं ना ??

आज हर तरफ़ यही तो चर्चा है ....ऐ आर रहमान बड़े गर्व के साथ हम भारतीयों के लिए पहली बार गोल्डन ग्लोब का अवार्ड ले कर आयें हैं ! सच में है तो खुशी की बात ! रहमान के हाथों हमने फिल्मों के अन्तराष्ट्रीय दस्तावेज पर अपनी उपस्तिथी के हस्ताक्षर कर दिए हैं... बधाई हो !
लेकिन रहमान साब ! आप के अपने हस्ताक्षर कहाँ हैं ???

इस फ़िल्म में मुझे ख़ुद रहमान के हस्ताक्षर कहीं भी साफ़ साफ़ दिखाई नहीं दिए !

लक्ष्मीकांत प्यारेलाल द्वारा संगीतबद्ध एक गीत था "चोली के पिच्छे क्या है..." ! अब ज़रा स्लमडॉग मिलिनेयर का "रिन्गा रिन्गा " सुनिए ! क्या ऐसा नही लगता की किसी नौसिखिये ने चोली गीत को रीमिक्स करने की ही कोशिश की है...! इसमे भी अलका याग्निक और इला अरुण ही का स्वर है और ठीक उसी तरह की आह उह्ह भी !
( वैसे अगर डैनी 'चोली के पीछे ...' गीत ज्यों का त्यों भी लगा देते तो कुछ ख़ास फर्क नही पड़ना था । इस 'रिंगा रिंगा ...' गीत के बोलों में भी काफी कुछ समानता है )

हालांकी ऐसा नहीं है की इस फ़िल्म का संगीत बुरा है...लेकिन इसमें कम से कम मुझे तो ऐसा कोई भी गीत सुझाई नही दिया जिसे सही मायनो में किसी अवार्ड का हक़दार समझा जा सके ! ऐ आर रहमान एक गुणी संगीतकार है .. नए नए प्रयोगों से वे संगीत की नित नयी उन्चाईओं को छूते रहते हैं...उन्हें महसूस करना हो तो "रोजा" सुनिए, "बॉम्बे" , "ताल", "लगान" या "रंगीला" सुनिए ...यहाँ तक कहना भी अनुचित नही होगा की उनकी हर फ़िल्म या हर रचना अपने आप में संगीत को बहुत ही प्रखरता से परिभाषित करती सी लगती है लेकिन यह फ़िल्म ....!

उन्हें अवार्ड देने वालों ने शायद उन्हें पहले कभी सुना ही नही ! और अगर सुना है तो इससे पहले 'लगान' के संगीत को अवार्ड क्यों नही दिया गया ? क्या यह इसलिए नही की लगान आशुतोष गवारीकर निर्देशित , एक भारतीय बेनर की फ़िल्म थी - किसी डैनी बोयल की नही ? अभी हमारी एक और अत्यन्त संवेदनशील और फ़िल्म क्राफ्ट में किसी से भी टक्कर लेती फ़िल्म "तारे ज़मीन पर..." को आस्कर से आउट कर दिया गया है !

मैं दावे के साथ कह सकता हूँ की अगर यह "स्लमडॉग मिलिनेयर" किसी मधुर भंडारकर , आमिर खान या अनुराग कश्यप या बासु ने बनाई होती तो अवार्ड तो दूर इसे शायद फाइनल में एंट्री भी नही मिलती ! यह आती और गुप चुप किसी "ट्रेफिक सिग्नल" "कोर्पोरेट" या "अ वेडनेसडे " की तरह ही चली जाती ! लेकिन चूँकि यह डैनी बोयल की फ़िल्म है इसलिए इसे तो अवार्ड मिलना ही चाहिए था...और इसीलिए मिला भी ! डैनी ने यह फ़िल्म बनाई ही इसलिए थी !

और हम इस पर खामख्वाह उछल रहे हैं....मानो हमने ही कोई बहुत बड़ा तीर मार लिया है ! जनाब - तीर भी उन्ही का है और निशाना भी उन्ही का !"व्हाट एन आईडिया सरजी "

बाकी रहा रहमान साब को अवार्ड देने का सवाल । तो शायद डैनी साब ने हमारी किसी एक कहानी पर ( Q and A -लेखक : विकास स्वरुप ), अपनी एक अच्छी फ़िल्म अच्छे तरीके से बनाने में अपना कुछ योगदान देने के लिए दिलवा दिया है ! यह अवार्ड किसी भी तरह से रहमान की प्रतिभा का मूल्यांकन नही है - जो फ़िल्म "स्लमडॉग मिलिनेयर " के संगीत से कहीं बेहतर और ऊपर है !

मैं समझता हूँ की हमें इस अवार्ड के जशन को भूल कर आगे बढना होगा और ख़ुद अपने दम पर पूरे विश्व को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाना होगा ! हमारे यहाँ इस फ़िल्म के 'जमाल मालिक' जैसे किरदारों की वैसे भी कोई कमी नहीं है !


2 comments:

mukti said...

i have"nt see this film yet,i am agree with your opinion that the music of rahmaan is above this award.

संजय बेंगाणी said...

मैं दावे के साथ कह सकता हूँ की अगर यह "स्लमडॉग मिलिनेयर" किसी मधुर भंडारकर , आमिर खान या अनुराग कश्यप या बासु ने बनाई होती तो अवार्ड तो दूर इसे शायद फाइनल में एंट्री भी नही मिलती !

इसके बाद कहने को कुछ नहीं बचता. यह सत्य है.

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