
आज़ाद भारत का गला घोंट दो !......
क्योंकी यहाँ आजादी या तो संविधान की किताब में हैं या फिरका परस्त मजहबी गुंडों के पास ! अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है , तभी तो वे कुछ भी बोलते हैं ...किसी के नाम का फतवा , कभी भी जारी कर देते हैं ! जब चाहे खुलेआम लड़कियों को बेशर्मी से , बेरहमी से पीट देते हैं , जब चाहे किसी फिल्म को कुछ भी कह कर रुकवा देते हैं और जब चाहे किसी भी कलाकार को अपनी गुंडई के बल पर , देश तक छोड़ने को मजबूर कर देते हैं ! और फिर आखिर क्यों न करें - गुंडों की ताक़त इनके पास है , राजनीति इनके घर की लौंडी है ...और कैसा भी ज़हर उगलता अपने घर का अखबार भी है ....और बची खुची कसर हमारे देश का संविधान अपने संरक्षण से पूरी कर ही देता है ! कुछ भी बोलिए , कुछ भी करिए -आपको अभिव्यक्ति की पूरी स्वतन्त्रता है ! भारत आज़ाद देश है .....
लेकिन जहाँ एक आम नागरिक की अभिव्यक्ति गुंडों की दहशत के साए तले सुगबुगाती हो, जहाँ अपनी राष्ट्रभाषा का सम्मान करने या समर्थन भर करने पर ज़लील होना पड़ता हो , भाषावाद और क्षेत्रीयतावाद के गुंडों द्वारा घर से उठवा लेने की धमकियाँ सुननी पड़ती हों या जहाँ एम् ऍफ़ हुसैन जैसे विश्व विख्यात कलाकार को अपना घर -बार छोड़ इस उम्र में विदेशों में भटकना पड़े - वह देश आज़ाद है ? दरअसल ऐसे देश को आज़ाद कहना हास्यास्पद भी है और त्रासदायक भी !
यह व्यवस्था की नपुंसकता नहीं तो और क्या है कि जहाँ एक ओर किसी गुंडे और शातिर अपराधी को इसलिए जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाती है क्योंकि उसने राजनीति का चोला ओढा हुआ है ...वहीं हुसैन जैसे पद्मश्री कलाकार की सुरक्षा की व्यवस्था तो दूर , इसका कोई आश्वासन तक भी नहीं दिया जाता ! क्या अपने आप में यह शर्म की बात नहीं कि जिस कलाकार ने अपना सारा जीवन अपने देश में रहकर , देश की कला और सांस्कृतिक धरोहर को संपुष्ट और समृद्ध करने में लगा दिया हो , आज अपनी गोधूली वेला , अपने देश से दूर किसी पराये आँगन में बिताने को मजबूर है .....और यह हमारी व्यवस्था, हमारे प्रशासनिक तंत्र और हमारी आजादी की हार है...!
आज ही खबर आ

यानी हुसैन साब हम अपने यहाँ उग आये ज़हरीले गुंडई के कुकुरमुत्तों से आपकी रक्षा नहीं कर सकते...इसलिए अब यह अपनी घर वापसी का , अपने वतन लौटने का ख्वाब देखना बंद करो.....और इस बात का कोई मन मुटाव भी अपने मन में मत रखियेगा ...आखिर "हम आपके हैं कौन " ?
मैं विक्षुब्ध हूँ और शर्मसार भी !
3 comments:
मैं विक्षुब्ध हूँ और शर्मसार भी ! nice
बहुत बढ़िया !! वंडरफुल पीस .. पर फिर वही ...क्या इसको शिव
सेना या उनका कोई गुंडा पढ़ेगा ? और पढ़ भी लेगा तो क्या ????
Result is always: ढाक के तीन पात
Sorry to say but हिंदुस्तान के १०० करोड़ बेजान हिजड़ों में एक मैं भी हूँ ...इस लिए घोट दो गला ...
satya hai. Trasadi hai. Ghutan hai.
Bahut jald hum sab ko yeh jhelna hoga. Apni to khair lagbhag kat gayi, hamare aage khilne wale gunchon ka kya hoga...allah hafiz
Post a Comment