Monday, January 25, 2010

यह ग़लती है या शरारत ? .....आप क्या कहते हैं ?

चौबीस जनवरी का अख़बार देखा आपने ? अगर देखा है तो आपकी नज़र से महिला एवम् बाल विकास मंत्रालय का यह विज्ञापन बच नही पाया होगा ! अख़बार के पूरे पन्ने पर छ्पा यह विज्ञापन अपने आप में लापरवाही की एक अनूठी मिसाल क़ायम करता हुआ दिखाई देता है ! हमारे देश के गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में छपे इस विज्ञापन में हमारे ही देश के कुछ उन प्रमुख व्यक्तियों की तस्वीरें दिखाई दे रही हैं जिन्होने अपने अपने क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं .... इन्ही में एक तस्वीर है पाकिस्तान के पूर्व वायु सेना प्रमुख तनवीर अहमद की ! जी हाँ, पाकिस्तान के पूर्व वायु सेना प्रमुख की ! ( वैसे इसे भी अमन की आशा अभियान का एक हिस्सा माना जा सकता है ) इस विज्ञापन को भारत की सरकारी विज्ञापन एजेंसी डी ए वी पी ने बड़ी शान से जारी किया है ! हालांकी तस्वीर इतनी बड़ी नही है मगर इतनी छोटी भी नही है नज़र अंदाज़ की जा सके !
आप
खुद ही देख लीजिए .....

अब तुर्रा यह कि इस लापरवाही का ठीकरा किसके सिर फोड़ा जाए ! जिस टीवी चैनल ने इस ग़लती को पकड़ा था , उसने सबसे पहले संपर्क साधा इसे जारी करने वाली एजेंसी से....जो अपनी भूमिका से साफ़ मुकर गयी ! उनका कहना था कि चूँकी आर्टवर्क सीधे मंत्रालय से ही आया था और उस पर समय का दबाव भी मंत्रालय की ओर से दिया गया था सो उनका इसे क्रॉस चैक करने का कोई औचित्य नही बनता था ....! ख़ासी बेतुकी लगती है यह बात ...!!!!!!!!

बहरहाल
इसके बाद बारी आई मंत्रालय की ! वहाँ पत्रकारों ने घेरा सीधे सीधे मंत्री महोदया श्रीमती कृष्णा तीरथ को ! अब जहालत देखिए ...पहले तो वह भी अपनी ज़िम्मेवारी से साफ़ मुकर गयी मगर बाद में जब उन्हे पी एम आफ़िस से फ़ोन आया तो उन्हे मामले की गंभीरता का अहसास हुआ ! उन्होने माफी भी माँगी मगर पूरे देश ने देखा कि किस तरह के हाव भाव से उन्होने यह माफी माँगी ! उन्हे यह कहते हुए ज़रा भी शर्म महसूस नही हुई कि मैं तो इस तस्वीर वाले व्यक्ति को पहचानती ही नही हूँ ! चलिए मान लिया की सूरत जानी पहचानी नही थी...मगर वर्दी ही देख ली होती ! सिर पर पहनी हुई टोपी पर चमकता हुआ चाँद सितारा भी दिखाई नही दिया ? कमाल है ! इसका तो मतलब यह हुआ की कल को ओसामा बिन लादेन की किसी तस्वीर के नीचे हमारे प्रधान मंत्री का नाम सिर्फ़ इसलिए छप जाएगा की भाई हमने तो पगड़ी देखी.....दाढ़ी देखी ...अब सूरत पर कौन ध्या देता ! अपने आप में क्या यह एक लानत नही लगती ! ऐसी लापरवाही ...तौबा तौबा !!

अब आइए ज़रा यह सोचे कि क्या वाकई यह किसी की ग़लती का ही परिणाम है ! इसकी क्या गारंटी है कि यह किसी की शरारत नही हो सकती ! अगर पाकिस्तान से आतंक के मसीहा अपने दरिंदे हमारी सीमाओं के आर पार कर सकते हैं ... हर दूसरे दिन कितना कितना असलाह ...डेटोनटर, आर डी एक्स और तबाही के ना जाने कौन कौन से सामान, वहाँ से यहाँ एक्सपोर्ट किए जा सकते हैं तो क्यों नही इसे हम , हमारे सूचना तंत्र ...हमारे मीडिया में पाकिस्तान की घुसपैठ मान सकते ?

बहुत मुमकिन है कि यह उनकी हमारे गणतंत्र पर अपनी उपस्तिथि दर्ज कराने की एक कामयाब कोशिश हो ! मैं समझता हूँ की इसे मात्र एक ह्यूमन एरर ( human error ) के दृष्टिकोण से ना देखते हुए उच्च स्तरीय जाँच की कसौटी पर कसा जाना चाहिए और दोषी लोगो के खिलाफ उचित कार्यवाही की जानी चाहिए ! मेरे देखे यह मसला इतना छोटा नही है की इसकी अनदेखी की जा सके ...आप क्या कहते हैं ?

1 comment:

Anonymous said...

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